अंतरंग अकादमी ने चित्रकला के लिये वर्ष 2009 के 'अंतरंग अकादमी सम्मान' के लिये शालू जैन का चयन किया है | यह घोषणा करते हुए अकादमी की प्रबंध कार्यकारिणी के अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीमल्ल व्यास ने बताया कि सम्मान के लिये योग्य युवा प्रतिभा का चयन करने खातिर युवा सर्जनात्मकता का आकलन करने की प्रक्रिया में, नए प्रयोगों और सूक्ष्म दृष्टि से अपने काम में एक नयापन और विविधता लाने में शालू जैन की निरंतर सक्रियता और सक्षमता को रेखांकित करते हुए तीन सदस्यों की कमेटी ने एकमत से यह फैसला किया है | सम्मान के लिये योग्यता को लेकर उन्होंने कहा कि अकादमी की प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्यों ने देखने और समझने की कोशिश की कि कौन से पत्थर तैरने वाले और पार पहुँचने वाले हैं | साथ ही यह भी सोचा गया कि यह सम्मान ऐसा न हो जो पहुंचे हुए लोगों की पहुँच की प्राप्ति स्वीकार करता हो | डॉक्टर लक्ष्मीमल्ल व्यास ने बताया कि कमेटी के सदस्यों को तथा उन्हें यह बात तो बाद में पता चली कि शालू जैन ने कला का संस्कार और परिष्कार बड़ौत नाम के उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में प्राप्त किया है | इस जानकारी को डॉक्टर लक्ष्मीमल्ल व्यास ने शालू जैन के चयन के फैसले के संदर्भ में उल्लेखनीय माना | उनका कहना रहा कि शालू जैन की कला के
स्त्रोत बड़ौत जैसी छोटी जगह में हैं, यह एक कलाकार के रूप में उनके लिये महत्त्व की बात है या नहीं, यह तो वे जानें; अपने फैसले के संदर्भ में यह हमारे लिये अवश्य ही महत्त्व की है | डॉक्टर लक्ष्मीमल्ल व्यास ने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में लखनऊ में होने वाले अकादमी के वार्षिक कला उत्सव में शालू जैन का सम्मान किया जायेगा |
शालू जैन ने पिछले छह - सात वर्षों में विभिन्न जगहों पर अलग - अलग संस्थाओं द्वारा आयोजित समूह प्रदर्शनियों में अपने काम को प्रदर्शित किया है | पिछले तीन वर्षों के दौरान दो बार - पहली बार नई दिल्ली के प्रेस क्लब में तथा दूसरी बार लोकायत मुल्कराज आनंद सेंटर में उन्होंने अपनी पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनियां भी की हैं | बीते दिनों की उनकी कला - सक्रियता को यहाँ याद करने की प्रासंगिकता इसलिए है क्योंकि उनकी यही सक्रियता स्वयं में इस बात का एक प्रमाण है कि चित्रकला से उनका गहरा लगाव है; और इस लगाव के चलते ही शालू जैन ने युवा चित्रकारों में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है | शालू जैन के चित्रों में चित्रता-गुण भरपूर हैं और चित्रभाषा की उपस्थिति, एक वास्तविक उपस्थिति लगती है - एक ऐसी उपस्थिति जो देखते ही बनती है और जो अपने विश्लेषण के लिये हमें तरह तरह से उकसाती भी है | उनके चित्र बार-बार देखे गये से प्रतीत होते हैं; इसके बावजूद हम उन्हें दोबारा देखने के लिये प्रेरित होते हैं, और फिर पाते हैं कि जैसे उन्हें पहली बार देख रहे हों |
शालू जैन के चित्रों में प्रकृति के और प्रकृति-स्थितियों के कायांतरित आकार हैं, हमारी आँखों के सामने जैसे नाटकीय घटनाएँ घट रही होती हैं; रूपाकार ऊर्जावान गतियों से सजीव होने लगते हैं - कुछ इस तरह जैसे पहले ऐसे दृश्य कभी देखे न हों, हालाँकि हम उनसे अच्छी तरह परिचित होते हैं | यह शालू के काम की विलक्षण अभिव्यक्ति है, उनकी स्वप्नसृष्टि की अभिव्यक्ति | उनकी चेतना की स्वतःस्फूर्त अभिव्यक्ति जैसे लगते हैं उनकी पेंटिंग्स में के परिदृश्य | एक चित्र की रचनाप्रक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक दिन वह अपने घर की छत पर थीं कि गरजते बादलों को उन्होंने कुछ इस तरह उमड़ते-घुमड़ते हुए देखा, कि तुरंत एक पेंटिंग पर काम करने के लिये वह प्रेरित हुईं | बादलों का उमड़ना-घुमड़ना उन्होंने हालाँकि पहले भी कई-कई बार देखा है, लेकिन उस दिन यदि उनमें उस परिदृश्य को पेंट करने की 'इच्छा' पैदा हुई, तो यह 'चेतना की स्वतःस्फूर्त अभिव्यक्ति' जैसा मामला ही है, जिसमें 'स्वप्नसृष्टि की अभिव्यक्ति' के तत्त्वों को भी देखा/पहचाना जा सकता है | उक्त घटना उन्होंने बताई तो पता चला; वह नहीं भी बतातीं, तो उनकी पेंटिंग्स तो यह 'बता' ही रही थीं | उनकी पेंटिंग्स में धरातल तथा पुंज (मास) का एक सादा-सा ज्यामितीय संतुलन बनता दिखता है, जो कलाकार के मन में पनपने वाली सुघट्य भावनाओं का परिचय देता है | अपनी पेंटिंग्स में के आकारों को शालू ने कहीं कहीं छायाकृति (सिलुएट) की तरह भी प्रस्तुत किया है |
शालू जैन पिछले काफी समय से प्रकृति के कई उपकरणों को लेकर ही काम कर रही हैं और इन उपकरणों की एक 'समानता' के बावजूद हर बार उनके काम में हमें एक और गहराई दीख पड़ती है | एक्रिलिक रंगों से बने उनके चित्र प्रकृति के दृश्यजगत का ही मानों एक निचोड़ हैं | उनके चित्रों में जैसे उनका दृश्यमान ही परिवर्तित हो गया है - प्रकृति उपकरण किसी कोण विशेष से ही न देखे जाकर, एक आत्मसात आंतरिक और बाह्य स्पेस (और रंगों) के रूप में देखे गए हैं | उनके चित्र-देश ने उन तमाम हलचलों, गतियों, संकेतों और मर्मों को अपने में बुन और समाहित कर लिया है जो ऋतुएं और मानस, एक अंतर्संबंध में घटित करते हैं; और जिनमें स्मृतियाँ रहती हैं, रंग-अनुभव रहते हैं, प्रकाश और छायाएं रहती हैं, शारीरिक-ऐंद्रिक उद्वेग रहते हैं, और जो कुल मिलाकर एक आत्मिक अनुभव में बदल जाते हैं | इस तरह प्रकृति उपकरण शालू जैन की कला में अभिन्न रूप से जुड़ गए हैं | इस तरह की 'अभिन्नता' किसी कलाकार में एक दुहराव में भी बदल सकती थी; लेकिन शालू जैन के यहाँ वह दुहराव में न बदल कर हर बार एक नए विस्मय में बदल जाती है | हम हर बार अनुभव करते हैं कि हम ने जो पहले देखा था, वह इससे मिलता जुलता तो था, लेकिन ठीक ऐसा ही नहीं था | लेकिन ठीक वैसा न लगने में 'ही' उन की कला की सार्थकता नहीं है - वह तो इसी बात में है कि वह हर बार अपने को सार्थक करती है |
'अंतरंग अकादमी सम्मान' के लिये शालू जैन का चुना जाना वास्तव में उनकी कला की इसी सार्थकता का सम्मान है |
नई दिल्ली के लोकायत मुल्कराज आनंद सेंटर में 'इन द लेप ऑफ नेचर' शीर्षक से कुछ समय पहले आयोजित हुई शालू जैन की एकल प्रदर्शनी में प्रदर्शित कुछ चित्र आप यहाँ देख सकते हैं :
'अंतरंग अकादमी सम्मान' के लिए चुने जाने पर शालू जैन को बधाई | इस मौके पर उन्हें कोई सलाह देना तो एक कठिन काम होगा और वह ठीक भी नहीं होगा | लेकिन फिर भी मैं कहना चाहूँगा की एक कलाकार के रूप में वह किसी बने - बनाये ढर्रे का अनुकरण करने से बचें और प्रशंसा व लोकप्रियता से सावधान रहें |
ReplyDeleteशालू जैन की सृजनात्मकता का अंतरंग अकादमी ने जो मान रखा है, उसे देख कर मुझे लगा है कि अकादमियों के कामकाज में अभी निष्पक्षता बाकी है | छोटी जगहों के कलाकारों को मान्यता पाने के लिए वास्तव में बहुत संघर्ष और इंतजार करना पड़ता है |
ReplyDeleteअंतरंग अकादमी का सम्मान पाकर शालू जैन ने अपनी प्रतिभा को तो पहचनवाया ही है, साथ ही उन कलाकारों के लिए भी उम्मीद पैदा की है जो छोटे क्षेत्रों से हैं और सोचते हैं कि उनका काम तो कभी पहचान पा ही नहीं सकेगा | शालू जैन को 'अंतरंग अकादमी सम्मान' के लिए बहुत बधाई और शुभकामनायें |
ReplyDeleteशालू जैन की पेंटिंग्स मैंने देखी हैं | उनकी पेंटिंग्स ने मुझे प्रभावित भी किया था और आकर्षित भी | मुझे विश्वास था कि उनकी पेंटिंग्स को पर्याप्त सराहना व प्रशंसा अवश्य ही मिलेगी | 'अंतरंग अकादमी सम्मान' के लिए उन्हें चुने जाने में मुझे अपने विश्वास के सच होने का ही सुबूत मिला है |
ReplyDeleteशालू जैन को अकादमी सम्मान के लिए चुने जाने के लिए अंतरंग अकादमी का आभार | शालू जैन के काम में जिस कल्पनाशीलता और रचनात्मकता के तत्त्व मिलते हैं, उन्हें देखते और पहचानते हुए अंतरंग अकादमी का फैसला एक बिलकुल सही फैसला लगता है |
ReplyDeleteआपने सही कहा है कि शालू जैन की कला विस्मित करती है | उनकी पेंटिंग्स देखने का सौभाग्य मुझे भी मिला है, और उनमें की स्वाभाविकता व प्रामाणिकता देख कर मैं सचमुच विस्मित और उनकी प्रतिभा का कायल हुआ था | अंतरंग अकादमी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना, उनकी पेंटिंग्स के एक दर्शक के रूप में यह मेरे लिये भी खुशी की बार है | शालू जैन को अंतरंग अकादमी सम्मान के लिये बधाई |
ReplyDeletekuşadası
ReplyDeletemilas
çeşme
bağcılar
muğla
2DZX